गजलें और शायरी >> रौशनी महकती है रौशनी महकती हैसत्य प्रकाश शर्मा
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‘‘आज से जान आपको लिख दी, ये मेरा दिल है पेशगी रखिये’’ शायर के दिल से निकली गजलों का नायाब संग्रह
अपने कहे हुये को लेकर मुझे ये मुगालता कतई नहीं है कि मैंने कोई कारनामा कर डाला है। पिछले 25-30 वर्ष में परवान चढ़ी, ग़ज़लों से मुहब्बत की छुटपुट मगर ईमानदार कोशिशें भर हैं ये अश्आर। जिन्दगी में तरतीब कभी रही नहीं, सो ख़याल आया कि कम-अज़-कम अहसास की बिखरी हुई शुआओं को रोशनदान दे दिया जाये ताकि सनद रहे और अपनों के काम आये।
मैं कोई साधु-महात्मा तो हूँ नहीं कि अपने मन में बैठे लालची से आपकी बात न कराऊं। ये लालची कहता है कि काश! जैसे मैंने अच्छी-अच्छी ग़ज़लें सुनी हैं, बेहतरीन शेरों पर दीवाना होता रहा हूँ, उसी तरह इस संग्रह का एक भी शेर, एक भी मिसरा पढ़ने वासों को पसन्द आ जाये तो ये भी फूला न समाये। इतना लालच तो बनता ही है...।
मैं कोई साधु-महात्मा तो हूँ नहीं कि अपने मन में बैठे लालची से आपकी बात न कराऊं। ये लालची कहता है कि काश! जैसे मैंने अच्छी-अच्छी ग़ज़लें सुनी हैं, बेहतरीन शेरों पर दीवाना होता रहा हूँ, उसी तरह इस संग्रह का एक भी शेर, एक भी मिसरा पढ़ने वासों को पसन्द आ जाये तो ये भी फूला न समाये। इतना लालच तो बनता ही है...।
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